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वक्फ संशोधन बिल पर जेडीयू में असंतोष: एमएलसी गुलाम गौस ने किया विरोध

  बिहार में वक्फ संशोधन बिल को लेकर राजनीतिक भूचाल आ गया है। जेडीयू एमएलसी गुलाम गौस ने इस बिल को असंवैधानिक बताते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने राष्ट्रपति से अपील की है कि इस बिल को वापस भेजा जाए, क्योंकि यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है और मुस्लिम समाज के हितों को आघात पहुंचाता है।


वक्फ बिल की आड़ में निशाने पर मुस्लिम समाज?

गुलाम गौस ने वक्फ संशोधन बिल की आलोचना करते हुए इसे मुस्लिम समाज के खिलाफ साजिश बताया। उन्होंने कहा कि इस बिल की आड़ में एक विशेष समुदाय को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार मुस्लिम समाज को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर न करे।

उन्होंने शायराना अंदाज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा: “मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है, फैसला हमें क्या देगा?”

राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की अपील

गुलाम गौस ने राष्ट्रपति से गुहार लगाई कि वे इस अलोकतांत्रिक बिल को पुनर्विचार के लिए वापस भेजें। उन्होंने यह भी कहा कि जैसे कृषि कानूनों को जनता के विरोध के कारण वापस लिया गया था, वैसे ही वक्फ संशोधन बिल को भी निरस्त किया जाना चाहिए।

सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा कमीशन की सिफारिशों की मांग

गुलाम गौस ने केंद्र सरकार से सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा कमीशन की सिफारिशों को लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर सरकार को मुस्लिम समाज की भलाई की परवाह है, तो इन आयोगों की रिपोर्ट को लागू करना चाहिए, जिससे मुस्लिम समाज की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार हो सके।

सांसदों के समर्थन पर सवाल

गुलाम गौस ने यह भी कहा कि जेडीयू के सांसदों ने संसद में इस बिल का समर्थन किया, लेकिन यह उनकी व्यक्तिगत राय थी। उन्होंने चेतावनी दी कि किसान आंदोलन की तरह, सरकार को मुस्लिम समाज को भी आंदोलन की राह पर चलने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वे इस स्थिति को बिगड़ने से रोकें और मुस्लिम समाज को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होने से बचाएं।

निष्कर्ष:-

वक्फ संशोधन बिल को लेकर बिहार की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। जेडीयू के भीतर ही इस बिल का विरोध होने से यह स्पष्ट हो गया है कि यह मुद्दा गंभीर और संवेदनशील है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और क्या वाकई में राष्ट्रपति इस बिल पर पुनर्विचार के लिए कदम उठाते हैं या नहीं।

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