नई दिल्ली: अमेरिकी समाचार पत्र वॉशिंगटन पोस्ट की हालिया रिपोर्ट ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को झूठा करार दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि USAID (United States Agency for International Development) ने भारत में मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए $21 मिलियन की सहायता राशि प्रदान की थी। इस रिपोर्ट के अनुसार, यह फंडिंग वास्तव में बांग्लादेश के लिए थी, न कि भारत के लिए। इस खुलासे के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है।
भाजपा बिना फैक्ट चेक किए ही कूद पड़ती है?
इस मामले में कांग्रेस ने सिर्फ फंडिंग को लेकर सवाल नहीं उठाए, बल्कि भाजपा की कार्यशैली पर भी तीखी टिप्पणी की है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भाजपा की "आत्ममुग्ध मानसिकता" पर निशाना साधते हुए कहा कि "किसी भी आरोप को लगाने से पहले जो गंभीर तथ्य-जांच (fact-check) की जानी चाहिए, भाजपा के नेता उस पर ज़रा भी मेहनत नहीं करते। उनका मकसद सिर्फ किसी को गलत साबित करना होता है, भले ही सच्चाई कुछ और ही क्यों न हो।"
खेड़ा ने आगे कहा कि "यह पहली बार नहीं हुआ है जब भाजपा बिना प्रमाण के किसी मुद्दे पर उग्र हो गई हो। इससे पहले भी कई बार भाजपा नेताओं को बिना उचित जांच-पड़ताल के गलत बयानबाजी करते हुए देखा गया है।"
कांग्रेस ने भाजपा की चुप्पी पर उठाए सवाल
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि "यह दो दोस्तों के बीच का मामला लगता है।" उन्होंने सवाल किया कि यदि USAID द्वारा भारत को कोई धनराशि नहीं दी गई, तो भाजपा और उसके सहयोगी इस विषय पर चुप क्यों हैं? खेड़ा ने कहा कि सत्तारूढ़ दल को यह स्पष्ट करना चाहिए कि यह कथित विदेशी फंडिंग का मामला क्या है और यदि ऐसी कोई धनराशि प्राप्त हुई थी, तो वह कहां गई?
उन्होंने यह भी बताया कि USAID ने वित्तीय वर्ष 2021 से 2024 के बीच भारत को $650 मिलियन की सहायता राशि प्रदान की है। उन्होंने सरकार से मांग की कि राजनीतिक दलों और अन्य संस्थानों को प्राप्त विदेशी धन पर एक विस्तृत श्वेत पत्र (White Paper) जारी किया जाए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इन फंड्स का उपयोग किस प्रकार किया गया।
ट्रंप के दावे से उपजा विवाद
यह विवाद तब शुरू हुआ जब एलन मस्क के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म DOGE ने दावा किया कि उसने भारत में मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए USAID के $21 मिलियन अनुदान को रद्द कर दिया है। इसके तुरंत बाद, डोनाल्ड ट्रंप ने यह कहते हुए इस दावे को आगे बढ़ाया कि अमेरिकी करदाताओं का पैसा भारत के 2024 के लोकसभा चुनावों में हस्तक्षेप के लिए उपयोग किया जा रहा है।
हालांकि, वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट ने इस दावे को झूठा करार दिया और स्पष्ट किया कि USAID की यह सहायता राशि भारत के लिए नहीं, बल्कि बांग्लादेश के लिए थी। इसके बावजूद, ट्रंप ने बिना किसी ठोस प्रमाण के अपने आरोपों को दोहराना जारी रखा है।
कांग्रेस ने की विदेशी फंडिंग की व्यापक जांच की मांग
कांग्रेस ने इस पूरे मामले में एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है। खेड़ा ने कहा कि यदि सरकार को विदेशों से राजनीतिक दलों या अन्य संस्थानों को प्राप्त फंडिंग पर कोई आपत्ति नहीं है, तो उसे इस संबंध में पारदर्शिता बरतनी चाहिए और सभी संबंधित आंकड़े सार्वजनिक करने चाहिए।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह भी आग्रह किया कि वह डोनाल्ड ट्रंप के दावों पर भारत की आधिकारिक स्थिति स्पष्ट करें। कांग्रेस का आरोप है कि यह पूरा विवाद एक सुनियोजित राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य भारतीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करना है।
भाजपा की प्रतिक्रिया का इंतजार
अब तक भाजपा ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि यह मामला भारत-अमेरिका संबंधों और आगामी लोकसभा चुनावों के संदर्भ में एक बड़ा राजनीतिक विवाद बन सकता है।
इस प्रकरण के सामने आने के बाद अब देखना होगा कि भाजपा इस पर क्या रुख अपनाती है और सरकार इस मामले पर क्या स्पष्टीकरण देती है।
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