23 अक्टूबर 2025 ✍🏻 Z S Razzaqi | वरिष्ठ पत्रकार
गठबंधन को पटरी पर लाने की कोशिशें तेज
बुधवार को पटना में पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव से मुलाकात की। मुलाकात के बाद संकेत मिले कि दोनों दलों के बीच पिछले कुछ दिनों से चली आ रही अनबन अब कम होती दिख रही है।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस अब तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा स्वीकार करने की दिशा में झुकाव दिखा रही है, ताकि बिहार में विपक्षी एकजुटता को मजबूत किया जा सके और भाजपा के खिलाफ एक संगठित अभियान शुरू किया जा सके।
सीट शेयरिंग पर बनी सहमति की संभावनाएं
महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर पिछले कई हफ्तों से खींचतान जारी थी। आरजेडी और कांग्रेस के बीच कुछ सीटों पर ‘दोस्ताना मुकाबले’ (friendly fights) की स्थिति बनी हुई थी। हालांकि, बुधवार की वार्ता के बाद यह संख्या घटकर अब महज कुछ सीटों तक सीमित रहने की संभावना है।
फिलहाल, पहले चरण के मतदान (6 नवंबर) के लिए नाम वापसी की अंतिम तिथि बीत चुकी है, लेकिन शेष चरणों के लिए बातचीत जारी है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले 24 घंटों में सीट शेयरिंग पर औपचारिक घोषणा हो सकती है।
संयुक्त अभियान पर अब भी असमंजस
हालांकि सीट बंटवारे पर सहमति बनती दिख रही है, लेकिन संयुक्त प्रचार अभियान (joint campaign) को लेकर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को बिहार में दो रैलियों के जरिए भाजपा के चुनावी अभियान की शुरुआत करने वाले हैं, जिससे विपक्षी गठबंधन पर एकजुटता दिखाने का दबाव और बढ़ गया है।
कांग्रेस नेतृत्व में अंदरूनी मतभेद भी उभरे
कांग्रेस की ओर से बिहार मामलों के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू को इस पूरे गतिरोध के लिए पार्टी के भीतर कई नेता जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत की इस बातचीत में मध्यस्थ की भूमिका बेहद अहम रही है, जिसने गठबंधन को टूटने से बचाने में मदद की है।
‘तेजस्वी सरकार’ बनाम ‘मोदी फैक्टर’
आरजेडी ने अपने पूरे चुनावी अभियान को ‘तेजस्वी सरकार’ के नारे के इर्द-गिर्द केंद्रित किया है। इसमें युवाओं को रोजगार देने, महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाएँ शुरू करने और जीविका कार्यकर्ताओं को स्थायी नौकरी देने के वादे शामिल हैं। वहीं, भाजपा अपने अभियान में विकास, स्थिरता और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता को केंद्र में रख रही है।
राजनीतिक विश्लेषण : कांग्रेस के लिए जोखिम भी, अवसर भी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी को मुख्यमंत्री चेहरा मानने से कांग्रेस को एक स्पष्ट नेतृत्व वाली साझेदारी का लाभ मिलेगा, लेकिन इसके साथ-साथ पार्टी को अपने पारंपरिक वोट बैंक में असंतोष का जोखिम भी उठाना होगा।
हालांकि, बिहार की वर्तमान सियासी परिस्थितियों में, यह समझौता महागठबंधन को पुनर्जीवित करने का एकमात्र व्यावहारिक रास्ता माना जा रहा है।
निष्कर्ष:-
तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा घोषित करने की संभावित सहमति से बिहार में विपक्षी राजनीति में नया मोड़ आ सकता है। अब देखना यह होगा कि क्या कांग्रेस और आरजेडी इस मौके को एक सशक्त गठबंधन के रूप में बदल पाते हैं या फिर मतभेद एक बार फिर उभर आते हैं। आने वाले कुछ दिनों में बिहार की राजनीति की दिशा और दशा दोनों तय होंगी।
